दोस्तों आज हम बात करने वाले है भारतीय इतिहास के जैन धर्म के बारे में दोस्तों जैन धर्म का इस आर्टिकल में हमने विस्तार से वर्णन किया है जिसमे जैन धारण के प्रारंभ से लेकर अंतिम क्षणों का वर्णन है
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जैन धर्म के संस्थापक ऋषवदेव को कहा जाता है और इनको आदिनाथ भी कहते है और यही जैनों के प्रथम तीर्थंकर थे पर जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक महावीर स्वामी को माना जाता है और महावीर स्वामी ही ही जैन धर्म के 24 वे तथा अंतिम तीर्थंकर रहे
अब हम महावीर स्वामी जी के जीवन परिचय की बात करते है क्योकि ज्यादातर परीक्षाओ में जैन धर्म से सम्बंधित प्रश्न आता है तो वह महावीर स्वामी जी से ही सम्बंधित होता है !
महावीर जी का जन्म कुण्डग्राम वैशाली में 540 ई. पू. में हुआ था !
इनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशाला था !
महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्धमान था !
इनके भाई का नाम नन्दिवर्धन था !
इनकी पुत्री का नाम अदोजया प्रियदर्शनी था !
इनके दामाद का नाम जामालि था जामालि ही महावीर स्वामी का प्रथम शिष्य था !
महावीर स्वामी को 12 वर्ष की कठोर तपस्या के बाद ऋजुपालिका नदी के तट पर साल के व्रक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ तभी से महावीर स्वामी को कैवल्य के नाम जाने जाना लगा महावीर स्वामी को अन्य नामो से भी जाना जाता था जो निम्नलिखित है –
कैवलीन , जिन(विजेता) ,निर्ग्रन्थ (बंधन मुक्त) महावीर , अर्हम
महावीर स्वामी की मर्त्यु 72 वर्ष की आयु में 468 ई. पू. हुई और पावापुरी नामक स्थान पर हुई !
प्रमुख तथ्य
- जैनधर्म दो भागो में बंटा था शवेताम्बर और दिगंबर
- शवेताम्बर – सफ़ेद वस्त्र पहनते थे !!
- दिगंबर – बिना वस्त्रो के या नग्न अवस्था में रहते थे !
- शवेताम्बरो के गुरु स्थूलभद्र था !
- दिगम्बरो का गुरु भद्रबाहु था !
- जैनधर्म अहिंसा वादी था !
- जैनधर्म ग्रंथो की भाषा प्राक्रत थी !
- जैनधर्म में सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने वाले को कैवल्य कहा जाता था !
- महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वे व अंतिम तीर्थंकर थे !
- जैनधर्म के लोग इश्वर को नहीं मानते थे !
- जैनधर्म आत्मा पर विशवास करता था !
- मोर्य शासन काल में मथुरा जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र था !
- खजुराहो के प्रसिद्ध जैन मंदिरों का निर्माण चंदेल के शासको ने करवाया था !
- जैन धर्म के तीर्थंकरो की जीवनी की रचना भद्रबाहु ने की जिसका नाम कल्प सूत्र है !
- जैनधर्म को मानने वाले राजा चन्द्रगुप्त मोर्य ,उदयिन ,चंदेल के शासक ,खारबेल,अमोघवर्ष
- जैनधर्म के त्रिरत्न सम्यकदर्शन , सम्यक ज्ञान ,सम्यक सम्यक आचरण इनका मतलब चरित्रवान बनना है !
- जैनधर्म के त्रिरत्नों में पांच वर्तो का पालन करना अनिवार्य है सत्यवचन ,अहिंसा ,अस्तेय ,अपरिग्रह ,ब्रह्मचर्य
- जैनधर्म के लोग पुनर्जन्म पर विश्वाश रखते थे !
मोर्य साम्रराज्य के बारे में जाने !

मेरा नाम गजेन्द्र माहौर है और मै Allhindi.net वेबसाइट का Founder & Author हूँ मै भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर जिले का निवासी हूँ और मैंने अपनी ग्रेजुएशन जीवाजी यूनिवर्सिटी से Complete की है और में पढाई में Govt Industrial Training Institute,Gwalior is situated in Gwalior Madhya Pradesh से ITI रहा हूँ मुझे टेक्नोलॉजी से जुडी बाते करना और और लिखना अच्छा लगता है